प्रत्यय | प्रत्यय की परिभाषा, भेद और उदाहरण | Pratyay in Hindi

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Pratyay in Hindi

प्रत्यय (Pratyay in Hindi) वे विशेष शब्दांश होते हैं जो किसी मूल शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ या रूप में बदलाव कर देते हैं और नए शब्द का निर्माण करते हैं। ‘प्रत्यय’ शब्द ‘प्रति’ (साथ में, पर बाद में) और ‘अय’ (चलने वाला) से मिलकर बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है — “साथ में, पर बाद में चलने वाला”। यानी प्रत्यय वह तत्व होता है जो मूल शब्द के साथ तो होता है, लेकिन अंत में जुड़कर उसके अर्थ को परिवर्तित करता है।

उदाहरण के तौर पर –
बालक + पन = बालकपन, यहाँ “पन” एक प्रत्यय है जो “बालक” शब्द से जुड़कर नया शब्द बना रहा है।

इस पोस्ट में हम विस्तार से जानेंगे —
🔹 प्रत्यय की परिभाषा
🔹 प्रत्यय के भेद (कृदंत और तद्धित)
🔹 प्रत्यय से बनने वाले शब्द
🔹 आसान उदाहरण और तालिका सहित स्पष्टीकरण

Table of Contents

प्रत्यय की परिभाषा (Definition of Pratyay)

“जो शब्दांश किसी शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन करे या नया शब्द बनाए, उसे प्रत्यय कहते हैं।”

प्रत्यय वे शब्दांश होते हैं जो शब्द के अंत में जुड़कर नए शब्द का निर्माण करते हैं और उसका अर्थ बदल देते हैं।

🔹 ये शब्दांश स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं होते, बल्कि किसी मूल शब्द (धातु या पद) से जुड़कर नए शब्द बनाते हैं।
🔹 प्रत्यय जोड़ने से बना नया शब्द प्रायः किसी विशेष वर्ग का हो जाता है, जैसे— संज्ञा, विशेषण, क्रिया आदि।

‘प्रत्यय’ शब्द दो शब्दों ‘प्रति’ और ‘अय’ से मिलकर बना है। ‘प्रति’ का अर्थ होता है – साथ में, लेकिन बाद में; और ‘अय’ का अर्थ होता है – चलने वाला। इस प्रकार, प्रत्यय का शाब्दिक अर्थ है – “साथ में, पर बाद में जुड़ने वाला”। यानी जो शब्दांश किसी मूल शब्द के अंत में जुड़कर नया शब्द बनाए या उसके अर्थ में परिवर्तन करे, उसे ही प्रत्यय कहा जाता है।

जैसे –
🔹 गाड़ी + वान = गाड़ीवान (गाड़ी चलाने वाला)
🔹 अपना + पन = अपनापन (अपनत्व का भाव)
🔹 बड़ा + ई = बड़ाई (बड़े होने का गुण)

प्रत्यय के भेद (Types of Pratyay)

हिंदी व्याकरण में प्रत्यय दो मुख्य प्रकार के होते हैं:

🔹 1. कृत् प्रत्यय (Krit Pratyay)

जब किसी धातु या क्रिया के अंत में प्रत्यय जोड़े जाते हैं और उनसे नया शब्द बनता है, तो उस प्रत्यय को कृत् प्रत्यय कहा जाता है।
कृत् प्रत्यय से बने शब्दों को कृदंत शब्द कहा जाता है।

✔ उदाहरण:

  • -क = लेखक, गायक, पाठक, दर्शक
  • -अक्कड़ = भुलक्कड़, घूमक्कड़, पियक्कड़
  • -आक = तैराक, लड़ाकू, भागाक

🧩 कृत् प्रत्यय के भेद

कृत् प्रत्यय को दो श्रेणियों में बांटा गया है:

🔸 1. विकारी कृत् प्रत्यय

जो शुद्ध संज्ञा या विशेषण बनाते हैं।
उदाहरण: गायक, सुंदरता

🔸 2. अविकारी (अव्यय) कृत् प्रत्यय

जो क्रियामूलक विशेषण या अव्यय बनाते हैं।
उदाहरण: बिकाऊ, चलकर

विकारी कृत् प्रत्यय के अंतर्गत बनने वाले कृदंत शब्द:

🔸 कर्तृवाचक कृदंत

इनसे क्रिया करने वाले व्यक्ति या वस्तु का बोध होता है।

बनाने के तरीके:

  1. ना को ने करके + वाला → पढ़ना → पढ़नेवाला, चलना → चलनेवाला
  2. ना को करके + हार/सार → मिलना → मिलनसार, होना → होनहार
  3. क्रिया + अक्कड़ / आक / आऊ / ओड़ा / एरा / इया आदि → पी → पियक्कड़, बढ़ → बढ़िया, लड़ → लड़ैया
🔸 गुणवाचक कृदंत

इनसे किसी गुण या विशेषता का बोध होता है।

उदाहरण:
बिकना → बिकाऊ
जीतना → जिताऊ
लड़ना → लड़ाका

🔸 कर्मवाचक कृदंत

इनसे क्रिया के कर्म (जिस पर क्रिया हो रही है) का बोध होता है।

उदाहरण:
खेलना → खिलौना
बिछाना → बिछौना
ओढ़ना → ओढ़नी
सूंघना → सूंघनी

🔸 करणवाचक कृदंत

इनसे क्रिया के साधन का बोध होता है।

उदाहरण:
झाड़ना → झाड़न
ओढ़ना → ओढ़ना (वस्त्र)
चलाना → चलनी
करना → करनी
ढकना → ढक्कन

🔸 भाववाचक कृदंत

इनसे किसी भाव या कार्य के व्यापार का बोध होता है।

उदाहरण:
मिलना → मिलाप
लड़ना → लड़ाई
कमाना → कमाई
भुलना → भुलावा

🔸 क्रियाद्योतक कृदंत

इनसे कोई विशेष क्रियात्मक स्थिति या गुणसूचक क्रिया बनती है।

उदाहरण:
खो → खोया
सो → सोया
चल → चलता, चलने वाला
जा → जाता, जाता हुआ
रो → रोता हुआ

प्रकारउद्देश्यउदाहरण
कर्तृवाचकक्रिया करने वाले का बोधपढ़नेवाला, मिलनसार
गुणवाचककिसी गुण का बोधबिकाऊ, लड़ाका
कर्मवाचकक्रिया के लक्ष्य/कर्म का बोधखिलौना, ओढ़नी
करणवाचकक्रिया के साधन का बोधझाड़न, चलनी, ढक्कन
भाववाचककिसी भाव का बोधलड़ाई, कमाई
क्रियाद्योतकक्रियात्मक अवस्था या भावरोता, जाता हुआ, चल रहा है

🔹 2. तद्धित प्रत्यय (Taddhit Pratyay)

जब संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्दों के अंत में प्रत्यय जुड़कर नया शब्द बनाते हैं, तो उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
इनसे बनने वाले शब्दों को तद्धितांत कहा जाता है।

✔ उदाहरण:

  • छोटा + ई = छोटाई
  • सुंदर + ता = सुंदरता
  • मित्र + पन = मित्रता / अपनापन
  • गरीब + ई = गरीबी

हिंदी में तद्धित प्रत्ययों के मुख्यतः 8 प्रकार माने जाते हैं:

🔹 1. कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय

अर्थ: जिससे करने वाले व्यक्ति का बोध हो।
प्रत्यय: -आर, -आरी, -इया, -एरा, -वाला, -हार, -दार आदि।

प्रत्ययमूल शब्दतद्धित रूप
आरसोनासुनार
आरीजुआजुआरी
इयामज़ाकमज़ाकिया
वालासब्ज़ीसब्ज़ीवाला
हारपालनपालनहार
दारसमझसमझदार

🔹 2. भाववाचक तद्धित प्रत्यय

अर्थ: भाव, गुण, अवस्था या स्थिति का बोध कराते हैं।
प्रत्यय: -पन, -ता, -त्व, -आस, -हट, -वट आदि।

प्रत्ययमूल शब्दतद्धित रूप
त्वदेवतादेवत्व
पनबच्चाबचपन
वटसज्जासजावट
हटचिकनाचिकनाहट
रंगरंगत
आसमीठामिठास

🔹 3. ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय

अर्थ: किसी वस्तु या व्यक्ति की लघुता, हीनता या ओछेपन का बोध।
प्रत्यय: -क, -री, -इया, -ई, -की, -टा, -ड़ी, -वा आदि।

प्रत्ययमूल शब्दतद्धित रूप
ढोलढोलक
रीछाताछतरी
इयाबुढ़ीबुढ़िया
टोपटोपी
कीछोटाछोटकी
डादुःखदुखड़ा
डीपागपगड़ी
लीखाटखटोली
वाबच्चाबचवा

🔹 4. संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय

अर्थ: किसी व्यक्ति या स्थान के संबंध को प्रकट करते हैं।
प्रत्यय: -हाल, -एल, -आल, -औती, -ई, -जा, -एरा आदि।

प्रत्ययमूल शब्दतद्धित रूप
हालनानाननिहाल
एलनाकनकेल
आलससुरससुराल
औतीबापबपौती
लखनऊलखनवी
एराफूफाफुफेरा
जाभाईभतीजा
इयापटनापटनिया

🔹 5. अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय

अर्थ: किसी वंश, संतान या जाति का बोध कराते हैं।
प्रत्यय: -अ, -आयन, -एय, -य आदि।

प्रत्ययमूल शब्दतद्धित रूप
मनुमानव
वसुदेववासुदेव
कुरुकौरव
आयननरनारायण
एयराधाराधेय
दितिदैत्य

🔹 6. गुणवाचक तद्धित प्रत्यय

अर्थ: किसी संज्ञा का गुण या विशेषता बताते हैं।
प्रत्यय: -आ, -इक, -ई, -वी, -श, -इष्ठ, -इमा, -र, -ल आदि।

प्रत्ययमूल शब्दतद्धित रूप
भूखभूखा
इकशरीरशारीरिक
पक्षपक्षी
वीमायामायावी
इमालाललालिमा
इष्ठवरवरिष्ठ
मधुमधुर
वत्सवत्सल
कर्ककर्कश

🔹 7. स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय

अर्थ: स्थान या स्थान-सूचक विशेषण को दर्शाते हैं।
प्रत्यय: -ई, -इया, -आना, -गाह, -त्र आदि।

प्रत्ययमूल शब्दतद्धित रूप
गुजरातगुजराती
इयापटनापटनिया
गाहचाराचारागाह
आड़ीआगाअगाड़ी
त्रसर्वसर्वत्र
त्रतदतत्र

🔹 8. अव्ययवाचक तद्धित प्रत्यय

अर्थ: क्रिया विशेषण की तरह प्रयोग होते हैं।
प्रत्यय: -दा, -त्र, -भर, -ओं, -ए, -स आदि।

प्रत्ययमूल शब्दतद्धित रूप
दासर्वसर्वदा
त्रएकएकत्र
भरदिनदिनभर
ओंकोसकोसों
आपआपस
पीछापीछे

प्रत्यय के उदाहरण (Examples of Pratyay)

कृत् प्रत्यय (Krit Pratyaya) के विस्तारित उदाहरण

मूल धातुकृत् प्रत्ययकृदंत शब्दअर्थ
लिख-कलेखकलिखने वाला
पढ़-कपाठकपढ़ने वाला
गाय-कगायकगाने वाला
बोल-कवक्ताबोलने वाला
तैर-आकतैराकतैरने वाला
लड़-आकालड़ाकालड़ने की प्रवृत्ति वाला (गुणवाचक)
घूम-अक्कड़घूमक्कड़घूमने वाला
भूल-अक्कड़भुलक्कड़भूलने वाला
पी-इयापियक्कड़पीने का अभ्यास रखने वाला
बढ़-इयाबढ़ियाश्रेष्ठता का बोध (गुणवाचक)
घट-इयाघटियाहीनता का बोध (गुणवाचक)
बिक-आऊबिकाऊजो बेचा जा सके
जल-आऊजलाऊजलाने योग्य
मिल-आपमिलापमिलने की क्रिया (भाववाचक)
कम-आईकमाईकमाने की प्रक्रिया
ढक-नढक्कनढकने की वस्तु
झाड़-नझाड़नझाड़ने की वस्तु
चल-नीचलनीछानने की वस्तु (करणवाचक)
ओढ़-नीओढ़नीओढ़ने की वस्तु
पढ़-ने वालापढ़नेवालाजो पढ़ता है
चढ़-ने वालाचढ़नेवालाजो चढ़ता है
मिल-न + सारमिलनसारमिलने में सहज व्यक्ति (कर्तृवाचक)
होना-न + हारहोनहारभविष्य में कुछ कर सकने योग्य

तद्धित प्रत्यय (Taddhit Pratyaya) के विस्तारित उदाहरण

मूल शब्दप्रत्ययतद्धितांत शब्दअर्थ
बच्चा-पनबचपनबच्चे की अवस्था
सुंदर-तासुंदरतासुंदर होने का गुण
बड़ा-ईबड़ाईबड़ेपन का भाव
मीठा-आसमिठासमिठेपन की अनुभूति
देवता-त्वदेवत्वदिव्यता का गुण
चतुर-ताचतुरताचतुर होने का भाव
कड़वा-हटकड़वाहटकड़वेपन की अनुभूति
लाल-इमालालिमालाल रंग की आभा
सज्जा-वटसजावटसजाने की प्रक्रिया
दु:ख-ड़ादुखड़ापीड़ा का व्यक्तिगत अनुभव
लखनऊ-ईलखनवीलखनऊ से संबंधित व्यक्ति/शैली
ससुर-आलससुरालससुर का घर
नाना-हालननिहालनाना का घर
नाक-एलनकेलनाक में डालने की वस्तु
मनु-अमानवमनु के वंशज
वसुदेव-अवासुदेवकृष्ण का पिता
राधा-एयराधेयराधा से उत्पन्न
पटना-इयापटनियापटना से संबंधित व्यक्ति
दर-बारदरबारशाही सभा
शर्म-इंदाशर्मिंदाशर्म से युक्त
उम्मीद-वारउम्मीदवारप्रत्याशी
रोज़-आनहरोज़ानाप्रतिदिन
सफेद-पोशसफेदपोशसाफ व सुंदर वस्त्र पहनने वाला
बेवफ़ा-ईबेवफाईविश्वासघात का भाव
मदद-गारमददगारसहायक व्यक्ति
दुकान-दारदुकानदारदुकान का स्वामी
दर-बानदरबानद्वारपाल
चाय-वालाचायवालाचाय बेचने वाला
निंदा-इअपमानितअपमान झेल चुका व्यक्ति
शक्ति-मत्ताशक्तिमत्ताशक्ति से परिपूर्ण अवस्था
भूख-आभूखाभूखा व्यक्ति
लाभ-कारीलाभकारीलाभ देने वाला
नुकसान-कारकनुकसानीहानि पहुँचाने वाला

FAQs on प्रत्यय | प्रत्यय की परिभाषा, भेद और उदाहरण | Pratyay in Hindi

प्रत्यय किसे कहते हैं?

प्रत्यय वे शब्दांश होते हैं जो किसी मूल शब्द के अंत में जुड़कर नया शब्द बनाते हैं और उस शब्द के अर्थ या भाव में परिवर्तन कर देते हैं। जैसे – “बड़ा + ई = बड़ाई”।

प्रत्यय कितने प्रकार के होते हैं?

प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं:
कृत् प्रत्यय (जो क्रिया के साथ जुड़ते हैं)
तद्धित प्रत्यय (जो संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण के साथ जुड़ते हैं)

कृत् प्रत्यय क्या होता है?

जब कोई प्रत्यय किसी धातु या क्रिया के साथ जुड़कर नया शब्द बनाता है, तो वह कृत् प्रत्यय कहलाता है।
उदाहरण:
“गाय + अक = गायक”, “पढ़ + अक = पाठक”।

तद्धित प्रत्यय क्या होता है?

जब कोई प्रत्यय किसी संज्ञा, विशेषण या सर्वनाम के साथ जुड़कर उसका रूप बदलता है, तो वह तद्धित प्रत्यय कहलाता है।
उदाहरण:
“बच्चा + पन = बचपन”, “सब्जी + वाला = सब्जीवाला”।

कृदंत शब्द क्या होते हैं?

कृदंत वे शब्द होते हैं जो कृत् प्रत्यय लगाकर बनाए जाते हैं। ये शब्द क्रिया से उत्पन्न होते हैं लेकिन वाक्य में संज्ञा, विशेषण या क्रिया विशेषण की तरह कार्य करते हैं।
उदाहरण:
लेखक, तैराक, बिकाऊ, चलनी आदि।

प्रत्यय और उपसर्ग में क्या अंतर है?

प्रत्यय शब्द के अंत में जुड़ता है और उसका नया रूप बनाता है।
उपसर्ग शब्द के आरंभ में जुड़ता है और अर्थ में बदलाव करता है।
उदाहरण:
प्रत्यय: सुंदर + ता = सुंदरता
उपसर्ग: उप + कार = उपकार

About the Author

Suraj Mainali

Suraj Mainali is the founder and chief content writer at Teaching Yatra, with over 8 years of experience in writing high-quality educational content. He holds an M.Sc. in Physics and Computer Science along with a B.Ed., He creates easy and reliable study materials for teaching exam aspirants.

📧 surajmainali1@gmail.com

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