
शब्द विचार (Shabd Vichar) हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें किसी शब्द के स्वरूप, प्रकार, और व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। सरल शब्दों में कहें तो — शब्द विचार का अर्थ है किसी शब्द का व्याकरणिक विश्लेषण करना।
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शब्द की परिभाषा (Shabd Ki Paribhasha)
शब्द वह ध्वनि या अक्षरों का समूह है, जिससे कोई अर्थ निकलता हो। यानि जब हम कुछ बोलते या लिखते हैं और वह बात समझ में आती है, तो उसे शब्द कहते हैं।
उदाहरण:
- राम – एक व्यक्ति का नाम (अर्थ है, इसलिए शब्द है)
- पानी – एक वस्तु का नाम
- खाना – क्रिया को दर्शाता है
लेकिन जैसे: “ध” अकेले में कोई अर्थ नहीं देता, इसलिए वह शब्द नहीं है।
शब्द की विशेषताएँ:
- शब्द में ध्वनि होती है।
- शब्द का कोई निश्चित अर्थ होता है।
- शब्द वाक्य बनाने में सहायक होते हैं।
शब्द के भेद (Shabd Ke Bhed)
शब्दों को उनके बनावट, उत्पत्ति, प्रयोग और अर्थ के आधार पर अलग-अलग प्रकारों में बाँटा जाता है। आइए इसे एक-एक करके विस्तार से और आसान भाषा में समझते हैं।
- व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद
- उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद
- प्रयोग के आधार पर शब्द-भेद
- अर्थ की दृष्टि से शब्द-भेद
1.व्युत्पत्ति (बनावट) के आधार पर शब्द के भेद
जब हम शब्दों को उनके बनने के तरीके यानी बनावट के अनुसार बाँटते हैं, तो वे तीन प्रकार के होते हैं:
(1) रूढ़ शब्द
ऐसे शब्द जो किसी दूसरे शब्द से मिलकर नहीं बने होते और जिनके टुकड़े करने पर कोई मतलब नहीं निकलता, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं।
🔹 उदाहरण:
- कल, पर, तन
इनमें “क-ल”, “प-र” या “त-न” अलग-अलग करने पर कोई अर्थ नहीं निकलता।
ये शब्द सीधे उपयोग होते हैं और अपने-आप में एक पूरा अर्थ रखते हैं।
(2) यौगिक शब्द
जब दो या दो से ज़्यादा अर्थपूर्ण शब्द मिलकर एक नया शब्द बनाते हैं, तो उसे यौगिक शब्द कहते हैं।
🔹 उदाहरण:
- रेलपथ = रेल + पथ
- नेत्रदान = नेत्र + दान
- जलपात्र = जल + पात्र
दोनों भागों के अलग-अलग भी अर्थ होते हैं और साथ में नया अर्थ बनाते हैं।
(3) योगरूढ़ शब्द
ये ऐसे शब्द होते हैं जो दो सार्थक शब्दों से मिलते हैं (यौगिक होते हैं), लेकिन उनका आमतौर पर अलग अर्थ निकलता है। यानी वह विशेष अर्थ में प्रयोग होते-होते रूढ़ बन चुके होते हैं।
🔹 उदाहरण:
- पंकज = पंक (कीचड़) + ज (उत्पन्न) → इसका मतलब होता है “कमल”
- दशानन = दस + आनन (मुख) → इसका प्रयोग “रावण” के लिए होता है
ये शब्द आमतौर पर अपने शब्दार्थ से अलग एक स्थायी विशेष अर्थ में प्रयोग होते हैं।
2. उत्पत्ति के आधार पर शब्द के भेद
जब हम यह देखते हैं कि शब्द कहाँ से आए हैं, तो शब्द चार प्रकार के माने जाते हैं:
(1) तत्सम शब्द
ये शब्द संस्कृत से सीधे बिना बदले हुए हिंदी में आए हैं।
🔹 उदाहरण:
- अग्नि, क्षेत्र, सूर्य, रात्रि, विद्यार्थी
ये थोड़े शुद्ध और औपचारिक लगते हैं।
(2) तद्भव शब्द
ये शब्द संस्कृत के ही हैं लेकिन रूप बदलकर आम बोलचाल की भाषा में आए हैं।
🔹 उदाहरण:
- अग्नि → आग
- सूर्य → सूरज
- रात्रि → रात
ये आम भाषा में ज़्यादा उपयोग होते हैं।
(3) देशज शब्द
ये ऐसे शब्द हैं जो भारत की क्षेत्रीय बोलियों से बनकर हिंदी में आ गए हैं। ये न संस्कृत से आए हैं, न किसी विदेशी भाषा से।
🔹 उदाहरण:
- थैला, पगड़ी, खटखटाना, लोटा, चूल्हा
ये ग्रामीण भाषा या क्षेत्रीय शब्दों से बने होते हैं।
(4) विदेशी या विदेशज शब्द
ये वे शब्द हैं जो विदेशी भाषाओं से आए हैं और अब हिंदी में खूब इस्तेमाल होते हैं।
🔹 उदाहरण:
- अंग्रेजी से: स्कूल, डॉक्टर, मोबाइल, ट्रेन
- फारसी से: चश्मा, दुकान, नमक
- अरबी से: अमीर, कानून, खत
- तुर्की से: तोप, कैंची, लाश
- पुर्तगाली से: अचार, तिजोरी, साबुन
- फ्रेंच से: पुलिस, इंजीनियर
- चीनी से: चाय, पटाखा
- जापानी से: रिक्शा
- डच से: बम
ये शब्द अब हमारी रोज़मर्रा की भाषा में शामिल हो चुके हैं।
3. प्रयोग (व्याकरणिक कार्य) के आधार पर शब्द के भेद
शब्दों को उनके वाक्य में किए गए काम के अनुसार 8 भागों में बाँटा जाता है, जिन्हें Parts of Speech भी कहते हैं:
शब्द भेद | कार्य क्या होता है | उदाहरण |
---|---|---|
संज्ञा | किसी वस्तु/व्यक्ति/स्थान का नाम | गाड़ी, राम, स्कूल |
सर्वनाम | संज्ञा की जगह प्रयोग होते हैं | वह, मैं, तुम |
विशेषण | संज्ञा की विशेषता बताते हैं | सुंदर, तेज, बड़ा |
क्रिया | किसी कार्य को दर्शाते हैं | खा रहा है, जाता है |
क्रिया-विशेषण | क्रिया की विशेषता बताते हैं | जल्दी, धीरे, बार-बार |
संबंधबोधक | संबंध प्रकट करते हैं | का, की, के |
समुच्चयबोधक | दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ते हैं | और, लेकिन, तथा |
विस्मयादिबोधक | आश्चर्य, भावना प्रकट करते हैं | अरे!, वाह!, ओह! |
विकार के अनुसार दो प्रकार:
- विकारी शब्द: जिनके रूप में बदलाव होता है
🔹 जैसे – लड़का → लड़के → लड़कों
🔹 “मैं” → “मुझे”, “हमें”
🔹 “खाता है”, “खाती है”
➥ इनमें संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया आते हैं। - अविकारी शब्द: जिनका रूप नहीं बदलता
🔹 जैसे – यहाँ, और, अरे, लेकिन
➥ इनमें क्रिया-विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक, विस्मयादिबोधक शामिल हैं।
4. अर्थ की दृष्टि से शब्द के भेद
शब्दों को उनके अर्थ के आधार पर भी दो भागों में बाँटा जाता है:
(1) सार्थक शब्द
जिन शब्दों का कोई मतलब होता है, उन्हें सार्थक शब्द कहते हैं।
🔹 उदाहरण:
रोटी, पानी, पेड़, किताब, खुशी
(2) निरर्थक शब्द
जिन शब्दों का कोई स्पष्ट अर्थ नहीं होता, वे निरर्थक कहलाते हैं। अक्सर ये तुकबंदी या खेल में प्रयुक्त होते हैं।
🔹 उदाहरण:
रोटी-वोटी, पानी-वानी, किताब-शिताब
यहाँ “वोटी”, “वानी”, “शिताब” का कोई मतलब नहीं है।
व्याकरण में निरर्थक शब्दों का कोई विशेष अध्ययन नहीं किया जाता।